akbar birbal ki kahani
अकबर बीरबल की कहानी
अरबी व्यापारी
बादशाह अकबर का राजदरबार लगा हुआ था। बादशाह अपने दरबारियों से चर्चा कर रहे थे। तभी बादशाह का दरबान आया और राजा से बोला की महाराज एक अरबी व्यापारी आपसे मिलना चाहते है। राजा ने कहा की उन्हें अंदर भेज दीजिये। अरबी व्यापारी राजदबार में प्रवेश करता है। वह बहुत ही दुखी दिखाई दे रहा था। राजा ने उससे उसके आने कारण पूछा। तो वह बोला हुज़ूर आपका बहुत नाम सुना आप बहुत ही न्यायप्रिय राजा लेकिन आपके राज में मेरे साथ बहुत अन्याय हुआ है। उसकी बात सुनकर राजा को बहुत ही आस्चर्य हुआ की उनके राज में किसी बाहरी व्यापारी के साथ अन्याय हुआ है तो उनका नाम बहुत ख़राब होगा। राजा ने व्यापारी से कहा की आप मुझे बताइये आपके साथ क्या अन्याय हुआ है। आपको न्याय दिलवाएँगे। अरबी व्यापारी ने कहा की महाराज में अपने देश से व्यापार करने के लिए कुछ सामान लेकर निकला था। तभी मुझे रस्ते में आगरा का एक व्यपारी मिला। उसने मुझसे कहा की उसे व्यापार में नुकसान हुआ है। और अगर अरबी व्यापारी जहाज से उतरने के बाद उसके गधो को इस्तेमाल करना चाहे तो कर सकता है। और उसे बदले में कुछ पैसे देदे तो उसके नुकसान की कुछ भरपाई भी हो जाएगी। अरबी व्यापारी इस बात पर राजी हो गया। क्युकी उसे लगा की जहाज से उतरने पर उसे अपने सामान के लिए गधे तो चाहिए। वो दोनों जहाज से उतरकर जैसे ही आगरा पहुँचे। तो आगरा के व्यापारी ने अरबी व्यापारी का सामान अपने पास रख लिया और अब देने से मना कर रहा है। यह बात राजा को बताते हुआ अरबी व्यापारी रोने लगा और राजा से बोला की अब मेरे पास वापस जाने के पैसे भी नहीं बचे क्युकी मेरा पूरा सामान आगरा के व्यापारी ने रख लिया है। इस पर राजा बोले की अगर सच में आपके साथ अन्याय हुआ है तो हम आपको न्याय दिलवाएंगे और अगर आप झूठ बोल रहे तो आपको काल कोठरी में बंद कर दिया जायेगा। राजा ने अरबी व्यापारी को अपना मेहमान ठहराया और आगरा के व्यापारी को दूसरे दिन राजदरबार में पेश करने का आदेश दिया। दूसरे दिन दोनों को राजा के सामने पेश किया गया। राजा ने आगरा के व्यापारी को अपना पक्ष रखने को कहा। इस पर अगर आगरा का व्यपारी बोला महाराज यह अरबी व्यापारी झूठ बोल रहा है। में अपना समान बेचकर आ रहा था तब मुझे यह व्यापारी मिला। और इसने मुझसे कहा की यह आगरा घूमना चाहता है। और यह कभी यहाँ आया नहीं है तो में इसे ले चलु तो आसानी से आगरा घूम लेगा। तो में इसे अपने साथ ले आया। अब यह मेरे सामान को अपना बता रहा है। इस बात पर राजा असमंजस में आ गए की कौन सच्चा है और कौन झूठा। राजा ने बीरबल से कहा बीरबल अब तुम ही इस गुथी को सुलझाओ। बीरबल ने राजा से कुछ वक़्त माँगा राजा ने कहा ठीक आप कोशिश करे जल्द से जल्द सुलझाने की। दूसरे दिन बीरबल राजदरबार में आए तो राजा ने बीरबल से पूछा कि तुमने गुथी सुलझा ली। तो बीरबल ने कहा कि हुज़ूर मेने सुलझा ली। और आगरा का व्यापरी झूठ बोल रहा है। राजा ने बीरबल से पूछा की तुम्हे कैसे पता चला कि आगरा का व्यपारी झूठ बोल रहा है। बीरबल ने कहा की हम दो लोग बेष बदलकर इसकी दुकान पर गए और अरबी सामान खरीदने की बात की तो वो बोला की अभी में अरब गया था और वह से काफी अरबी सामान खरीद कर लाया हू। बीरबल ने वह सामान देखा और भाव की बात की। तो उसने 1000 सोने की मोहरो की मांग की और बीरबल ने कहा की में इतने महंगे दाम तो नहीं दे पाउँगा। में इनके सिर्फ 300 मोहरे दे पाउँगा। इस पर वह राजी हो गया और बीरबल ने उससे कहा की में सुबह मोहरे लाऊंगा और सामान ले जाऊँगा। राजा ने बीरबल से पूछा इसमें तुम्हे कैसे पता लगा की वह झूठ बोल रहा है तब बीरबल बोले हुज़ूर कोई भी व्यापारी अपने सामान का दाम एक दम से इतना काम नहीं करेगा। लेकिन जब सामान ही चोरी का हो तो किसी भी दाम भी बेच देगा वही उस व्यापारी ने भी किया।
राजा ने आदेश दिया कि आगरा के व्यापारी को काल कोठरी में बन्द कर दिया जाये। और अरबी व्यापारी को उसका सामान दिलवाया।
एक बार फिर बीरबल ने दूध का दूध और पानी का पानी किया।
पोस्ट को पढने के लिए आप लोगो का बहुत -बहुत धन्यवाद।
अरबी व्यापारी
बादशाह अकबर का राजदरबार लगा हुआ था। बादशाह अपने दरबारियों से चर्चा कर रहे थे। तभी बादशाह का दरबान आया और राजा से बोला की महाराज एक अरबी व्यापारी आपसे मिलना चाहते है। राजा ने कहा की उन्हें अंदर भेज दीजिये। अरबी व्यापारी राजदबार में प्रवेश करता है। वह बहुत ही दुखी दिखाई दे रहा था। राजा ने उससे उसके आने कारण पूछा। तो वह बोला हुज़ूर आपका बहुत नाम सुना आप बहुत ही न्यायप्रिय राजा लेकिन आपके राज में मेरे साथ बहुत अन्याय हुआ है। उसकी बात सुनकर राजा को बहुत ही आस्चर्य हुआ की उनके राज में किसी बाहरी व्यापारी के साथ अन्याय हुआ है तो उनका नाम बहुत ख़राब होगा। राजा ने व्यापारी से कहा की आप मुझे बताइये आपके साथ क्या अन्याय हुआ है। आपको न्याय दिलवाएँगे। अरबी व्यापारी ने कहा की महाराज में अपने देश से व्यापार करने के लिए कुछ सामान लेकर निकला था। तभी मुझे रस्ते में आगरा का एक व्यपारी मिला। उसने मुझसे कहा की उसे व्यापार में नुकसान हुआ है। और अगर अरबी व्यापारी जहाज से उतरने के बाद उसके गधो को इस्तेमाल करना चाहे तो कर सकता है। और उसे बदले में कुछ पैसे देदे तो उसके नुकसान की कुछ भरपाई भी हो जाएगी। अरबी व्यापारी इस बात पर राजी हो गया। क्युकी उसे लगा की जहाज से उतरने पर उसे अपने सामान के लिए गधे तो चाहिए। वो दोनों जहाज से उतरकर जैसे ही आगरा पहुँचे। तो आगरा के व्यापारी ने अरबी व्यापारी का सामान अपने पास रख लिया और अब देने से मना कर रहा है। यह बात राजा को बताते हुआ अरबी व्यापारी रोने लगा और राजा से बोला की अब मेरे पास वापस जाने के पैसे भी नहीं बचे क्युकी मेरा पूरा सामान आगरा के व्यापारी ने रख लिया है। इस पर राजा बोले की अगर सच में आपके साथ अन्याय हुआ है तो हम आपको न्याय दिलवाएंगे और अगर आप झूठ बोल रहे तो आपको काल कोठरी में बंद कर दिया जायेगा। राजा ने अरबी व्यापारी को अपना मेहमान ठहराया और आगरा के व्यापारी को दूसरे दिन राजदरबार में पेश करने का आदेश दिया। दूसरे दिन दोनों को राजा के सामने पेश किया गया। राजा ने आगरा के व्यापारी को अपना पक्ष रखने को कहा। इस पर अगर आगरा का व्यपारी बोला महाराज यह अरबी व्यापारी झूठ बोल रहा है। में अपना समान बेचकर आ रहा था तब मुझे यह व्यापारी मिला। और इसने मुझसे कहा की यह आगरा घूमना चाहता है। और यह कभी यहाँ आया नहीं है तो में इसे ले चलु तो आसानी से आगरा घूम लेगा। तो में इसे अपने साथ ले आया। अब यह मेरे सामान को अपना बता रहा है। इस बात पर राजा असमंजस में आ गए की कौन सच्चा है और कौन झूठा। राजा ने बीरबल से कहा बीरबल अब तुम ही इस गुथी को सुलझाओ। बीरबल ने राजा से कुछ वक़्त माँगा राजा ने कहा ठीक आप कोशिश करे जल्द से जल्द सुलझाने की। दूसरे दिन बीरबल राजदरबार में आए तो राजा ने बीरबल से पूछा कि तुमने गुथी सुलझा ली। तो बीरबल ने कहा कि हुज़ूर मेने सुलझा ली। और आगरा का व्यापरी झूठ बोल रहा है। राजा ने बीरबल से पूछा की तुम्हे कैसे पता चला कि आगरा का व्यपारी झूठ बोल रहा है। बीरबल ने कहा की हम दो लोग बेष बदलकर इसकी दुकान पर गए और अरबी सामान खरीदने की बात की तो वो बोला की अभी में अरब गया था और वह से काफी अरबी सामान खरीद कर लाया हू। बीरबल ने वह सामान देखा और भाव की बात की। तो उसने 1000 सोने की मोहरो की मांग की और बीरबल ने कहा की में इतने महंगे दाम तो नहीं दे पाउँगा। में इनके सिर्फ 300 मोहरे दे पाउँगा। इस पर वह राजी हो गया और बीरबल ने उससे कहा की में सुबह मोहरे लाऊंगा और सामान ले जाऊँगा। राजा ने बीरबल से पूछा इसमें तुम्हे कैसे पता लगा की वह झूठ बोल रहा है तब बीरबल बोले हुज़ूर कोई भी व्यापारी अपने सामान का दाम एक दम से इतना काम नहीं करेगा। लेकिन जब सामान ही चोरी का हो तो किसी भी दाम भी बेच देगा वही उस व्यापारी ने भी किया।
राजा ने आदेश दिया कि आगरा के व्यापारी को काल कोठरी में बन्द कर दिया जाये। और अरबी व्यापारी को उसका सामान दिलवाया।
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