Soichiro Honda Ki jeevani(Apka Mitra)
सोइचिरो होंडा की जीवनी (Soichiro Honda Ki Jeevani)
Soichiro Honda ki jeevani |
होंडा मोटर्स का नाम तो सभी ने सुना ही होगा।आज जहाँ पे हौंडा मोटर्स है। वहाँ हौंडा मोटर्स को पहुंचाने के पीछे एक बहुत ही संघर्ष की कहानी है।
"तो आज जानते है हौंडा मोटर्स के संस्थापक सोइचिरो हौंडा की जीवनी के बारे में।"
सोइचिरो हौंडा का जन्म 17 november 1906 को जापान के छोटे से गावँ में हुआ।होंडा को पढ़ाई लिखाई ज्यादा पसंद नहीं थी। इसी वजह से लगभग 16 साल की उम्र में होंडा ने पढ़ाई छोड़ दी। फिर होंडा टोक्यो चले गए और एक कम्पनी में मैकेनिक का काम करने लगे। और एक बहुत ही उम्दा मैकेनिक बन गए।
कुछ साल वहाँ काम करने के बाद उन्होंने वहाँ से नौकरी छोड़ दी और घर लौट आये।
(Soichiro Honda Ki Jeevani)
घर आकर वो वही मैकेनिक का काम करने लगे। कुछ दिन बाद बड़ी कम्पनियो के लिए सस्ते दाम में अच्छे पिस्टन रिंग्स बनाने लगे। उन्होंने अपनी सारी पूंजी लगाकर एक कंपनी खोली और उसमे प्रयोग करने लगेअपने बनाये पिस्टन को बेचने के लिए उन्होंने बड़ी कम्पनियो से संपर्क किया। जल्द ही उन्हें एक बड़ी कंपनी का कॉन्ट्रैक्ट मिल गया। लेकिन इस बीच उनका एक्सीडेंट हो गया। और वे बुरी तरह जख्मी हो गए। और तीन महीने उन्हें हॉस्पिटल में ही रहना पड़ा। हॉस्पिटल में उन्हें पता चल की उन्हें पिस्टन क्वालिटी के तय मानकों पे खरे नहीं उतरे। और उनका कॉन्ट्रैक्ट चला गया। जीवन में सब उनके खिलाफ चल रहा था। उनके जीवन में सब उनके खिलाफ चल रहा था। उनके जीवन की पूरी कमाई डूब चुकी थी। लेकिन उन्होंने हर नहीं मानी और पिस्टन की क्वालिटी सुधारने के लिए कई कम्पनियो के मालिकों से मिले। लेकिन तभी दूसरा विश्वयुद्ध शुरू हो गया और अमेरिका के एक हमले में उनकी फैक्ट्री तबाह हो गयी।
(Soichiro Honda Ki Jeevani)
इस घटना ने उन्हें दहला दिया। लेकिन युद्ध ख़त्म होने के बाद अपनी कंपनी के अवशेष बेचकर उन्होंने कुछ पैसो का इन्तजाम किया और उन्ही पैसो से "होंडा टेक्निकल रिसर्च इंस्टिट्यूट" खोला। युद्ध में हारने के बाद जापान की अर्थव्यस्था बुरी तरह चरमरा गयी। लोग पैदल या साइकल पर चलने को मजबूर थे। इन समस्याओं को देखते हुए सोइचिरो ने एक छोटा सा इंजन बनाकर साइकल से जोड़ दिया। उनका यह कांसेप्ट लोगो को बहुत पसंद आया। और बाइक बिकने लगी। यही से सोइचिरो की सफलता शुरू हुई।1949 में उन्होंने अपनी कंपनी का नाम "होंडा टेक्निकल रिसर्च इंस्टिट्यूट" से बदलकर "होंडा मोटर्स" रख दिया। इसी साल उन्होंने टू -स्ट्रोक इंजिन बाइक लॉन्च की। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। कंपनी 1961 में एक लाख मोटरसाइक्लो का उत्पादन करने लगी
1968 में उत्पादन 10 लाख तक हो गया।
जापान की अर्थव्यस्था सुधरी और हौंडा ने फोरव्हीलर्स में कदम रखा।
अपार सफलताओ के बाद 5 august 1991 में सोइचिरो होंडा ने दुनिया को अलविदा कह दिया।
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